Bhagalpur: वर्ष 2009 के लोकसभा चुनाव के दौरान आचारसंहिता के उल्लंघन के मामले में साक्ष्य के आभाव में भागलपुर के एमपी-एमएलए कोर्ट द्वारा भाजपा के वरिष्ठ नेता सैयद शाहनवाज़ हुसैन, बिहपुर के एमएलए इंजीनियर शैलेन्द्र सहित दो अन्य लोगों को बरी कर दिया गया.
दरअसल, चुनाव के लिए आचार संहिता लागू होने जाने के बाद पान की एक गुमटी में भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता सैयद शाहनवाज हुसैन और इंजीनियर शैलेन्द्र का एक पोस्टर पाया गया था. पोस्टर को आचार संहिता का उल्लंघन मानते हुए इन दोनों नेताओं सहित मंटू मोदी और व्यास चौधरी के खिलाफ मुक़दमा दायर कराया गया था.
वर्ष 2009 में दायर किया गया यह मुक़दमा 14 वर्षों तक चला. मुकदमे की सुनवाई के दौरान विपक्षी पार्टी द्वारा साक्ष्य के तौर पर पोस्टर भी नहीं प्रोड्यूस किया जा सका और न ही मुकदमें के पक्ष में कोर्ट में गवाह ही प्रस्तुत कराये जा सके. इन्हीं तथ्यों को ध्यान में रखते हुए कोर्ट ने इस मुकदमें में नामित सभी लोगों को बरी कर दिया.
कोर्ट के फैसले के बाद शाहनवाज हुसैन ने कहा कि चुनाव में अधिकारियों की मनमानी होती है. नेताओं को फंसाया जाता है. लेकिन साक्ष्य नहीं होने के कारण न्यायालय ने हमलोगों को बाइज्जत बरी कर दिया. मैं न्यायालय का शुक्रिया अदा करता हूं. उन्होंने कहा कि मुकदमें की सुनवाई के दौरान हमें कोर्ट के समक्ष खड़ा होना होता था. सब काम छोड़कर न्यायालय में आना होता था. हम लोग मानसिक रूप से काफी परेशान हो जाते थे. अधिकारियों को बिना साक्ष्य के इस तरह परेशान किसी को परेशान नहीं करना चाहिए.
वहीं, बिहपुर के भाजपा विधायक इंजीनियर शैलेंद्र ने कहा कि बिना गलती के अधिकारियों द्वारा किसी को इस तरह परेशान किया जाना सही नहीं है.