संतोष राज
भागलपुर: भागलपुर जिला के नवगछिया अनुमण्डल का कदवा क्षेत्र दुनिया में विलुप्तप्राय हो रहे गरुड़ों की स्थली बन गया है. यह दुनियां का तीसरा गरुड़ प्रजनन क्षेत्र हैं. विश्व भर में गरुड़ प्रजनन के केवल तीन प्रजनन केंद्र हैं जो कम्बोडिया असम और भागलपुर में स्थित हैं. वन विभाग के अनुसार कदवा गरुड़ प्रजनन केंद्र क्षेत्र में इनकी संख्या अभी करीब 600 है. वहीं पूरे विश्व में इनकी संख्या 1600 के करीब है.
अमूमन ठंड के मौसम में यहाँ प्रवास करने वाले गरुड़ बरगद व पीपल के पेड़ों को अपना आशियाना बना लेते हैं और मार्च से जुलाई महीने में ठंढी जगहों पर पलायन कर जाते हैं. गरुड़ पक्षी का वर्णन रामायण में भी आया है. इनके धार्मिक महत्व को देखते हुए इस इलाके के लोग इन्हें श्रद्धा-भाव की दृष्टि से देखते हैं.
सरकार गरुड़ों के संरक्षण पर सालाना 40 लाख रुपये खर्च करती है. भागलपुर के सुंदरवन में गरुड़ पुनर्वास केंद्र भी बनाया गया है जो दुनिया का एक मात्र गरुड़ पुनर्वास केंद्र है. यहां बीमार गरुड़ों का इलाज भी किया जाता है. स्थानीय लोगों ने बताया कि गरुड़ों के लिए यहां का वातावरण अनुकूल है. इन्हें देखने के लिए देश विदेश से लोग कदवा पहुंचते हैं.
भागलपुर वन एवं पर्यावरण विभाग के चिकित्सा पदाधिकारी डॉ संजीत ने बताया कि कदवा के अतिरिक्त केवल असम और कम्बोडिया में गरुड़ प्रजनन केंद्र हैं. इसलिए गरुड़ प्रजनन की दृष्टि से कदवा काफी महत्वपूर्ण है. स्थानीय लोग इनके संरक्षण में सहयोग करते हैं जिसके लिए उन्हें सम्मानित भी किया जाता है.
बता दें कि असम में सबसे ज्यादा गरुड़ पाए जाते थे लेकिन भागलपुर ने असम को भी मात दे दिया है. यहां पिछले 16 वर्षो में गरुड़ों की संख्या 10 गुना वृद्धि हुई है. गरुड़ों की बढ़ती संख्या ने विश्व में गरुड़ संरक्षण के लिए भागलपुर को एक विशिष्ट स्थान दिलाया है.