पीयूष मंदन
भारत में ऐसे तो कई लड़ाईयां लड़ी हुई थी, पर पानीपत की लड़ाई को भारतीय इतिहास के नए मोड़ के रूप में देखा जाता है. पानीपत की लड़ाई ऐसी लड़ाई थी, जिसने भारत के इतिहास को पूरी तरह बदलकर रख दिया. दिल्ली के ताज़ पर कब्ज़ा कर हिंदुस्तान का शासक बनने के लिए हुई इस पानीपत की पहली लड़ाई के बारे में ऐसा कहा जाता हैं कि अगर इस लड़ाई में भारतीय राजाओं की जीत होती तो भारत की स्थिति आज पूरी तरह अलग होती. आइये जानते है इतिहास के इस पन्ने के बारे में.
पानीपत की लड़ाई के बारे में सब जानते हैं, पर क्या पानीपत का इतिहास आपको पता है? असल में पौराणिक कथा के अनुसार, पानीपत महाभारत के समय पांडव भाइयों के द्वारा स्थापित किए गए पांच शहरों में से एक और काफी महत्वपूर्ण शहर था. इसका उस वक़्त नाम पांडुप्रस्थ था, औऱ यही पांडुप्रस्थ आगे चलकर हरियाणा का शहर पानीपत हो गया. इस शहर में भारत की कुछ अहम ऐतिहासिक लड़ाइयां हुई थी जिसने भारत का इतिहास बदल कर रख दिया.
पानीपत वो जगह है जहां बारवीं शताब्दी के बाद से भारत का शासक बनने की महत्वपूर्ण लड़ाइयां लड़ी गयीं. पानीपत शहर आज की और उस वक़्त की राजधानी दिल्ली से करीब 90 किलोमीटर दूर था, जहां दिल्ली के असली सुल्तान की दावेदारी की पारी खेली गई थी.पानीपत की पहली लड़ाई आज ही के दिन यानी 21 अप्रैल 1526 को दिल्ली के सुल्तान इब्राहिम लोदी और बाबर के बीच हुई थी. बाबर जाति से तुर्क वंश का था, जो पहले मध्य एशिया में शासक बनना चाहता था. वहां असफल होने के बाद उसने भारत का रुख किया, जहां उसे सफलता हासिल हुई.
बाबर ने ही भारत में मुगल साम्राज्य की नींव रखी थी. बाबर ने इस लड़ाई में उस वक़्त के दिल्ली के सुल्तान इब्राहिम लोदी को हरा दिया. इस भयानक लड़ाई में इब्राहिम लोदी और उसके 15,000 सैनिक मारे गए. इस लड़ाई ने भारत में लोदी वंश को समाप्त कर दिया था और बाबर का दिल्ली एवं आगरा पर कब्ज़ा होने के साथ मुगल सल्तनत की शुरुआत हुई. इसके बाद मुग़ल सल्तनत का आने वाले लगभग 200 सालों तक भारत पर शासन रहा, जिसके बाद उन्हें मराठाओं और अंग्रेज़ो द्वारा हटा दिया गया. तो ये था पानीपत की पहली लड़ाई का इतिहास. कहा जाता है यदि इस लड़ाई में भारत के सभी हिंदू राजा एक साथ आ गए होते तो आज भारत की दिशा और दशा दोनों कुछ और ही होती. इस मुद्दे पर आपकी क्या राय है? बताइएगा जरूर.