डेस्क: भारत की युवा पीढ़ी अक्सर कृषि कार्य को बड़ी ही छोटी दृष्टि से देखती है. यहां तक कि किसान के बेटे भी किसान नहीं बनाना चाहते. किसानों के घटते मुनाफे और परेशानियों को देख युवा पीढ़ी कृषि में अपना भविष्य नहीं देख पाती. पर इस बात का खंडन करने के लिए आज हम एक ऐसा उदहारण प्रस्तुत कर रहे हैं, जिसने न सिर्फ खेती को अपना कार्य बनाया बल्कि उसे किसानी से सालाना 40 लाख का मुनाफा हो रहा है. जानिए क्या है पूरी स्टोरी.
कृषि क्षेत्र भारतीय अर्थव्यवस्था और रोजगार उपलब्ध कराने का एक महत्वपूर्ण जरिया है.अगर देश के किसान खेती करना छोड़ दें तो यहां अनाज की भारी किल्लत हो जाएगी और लोग कहने को तरस जाएंगे. अधिकांश युवा इस पेशे से मुंह मोड़ रहे हैं जबकि कुछ ने इसे अपना पैशन और आय का जरिया भी बना लिया है. यह कहानी हरियाणा के हिसार जिले के सलेमगढ़ गांव के 24 वर्षीय विकास वर्मा की है. विकास मशरूम की खेती कर सालाना 35 से 40 लाख रुपये का मुनाफा कमा रहे हैं.
विकास के 45×130 फीट के चार फार्म है, जिनमें वे मशरूम की खेती करते हैं. विकास ने वर्ष 2016 में 12वीं फेल होने के बाद पढ़ाई छोड़ दी और खेती को ही अपना पेशा बना लिया. परिवार में कई अन्य लोग इस काम से जुड़े हुए थे तो इस पेशे से जुडी बारीकियों का उन्हें पहले से ज्ञान था. विकास ने खेती शुरू करने के बाद कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. मशरूम की खेती में मिली सफलता के बाद उन्होंने “वेदांता मशरूम” नाम की एक एग्रो कंपनी भी स्थापित कर लिया है जिसका सालाना टर्नओवर लगभग 70 लाख रुपये है.
विकास के अनुसार उनके घर वाले पहले परंपरागत तरीके से खेती किया करते थे, जिससे उन्हें कोई ख़ास मुनाफा नहीं होता था. इस पेशे को अपनाने के बाद उन्होंने खेती करने के नए तरीकों को अपनाया जिसका सभी घरवालों ने समर्थन किया. विकास ने इसके बाद एक पार्टनर भी ढूंढ लिया लेकिन शुरूआती दौर में 15 लाख के नुकसान के बाद उसने विकास का साथ छोड़ दिया. इसके बावजूद विकास ने हार नहीं मानी औऱ लगातार प्रयास करते रहे. उनकी मेहनत रंग लाने लगी है और वे मशरूम क खेती कर 40 लाख रुपए का मुनाफा कमा रहे हैं.