सुभद्रा कुमारी’सुभ’
बिहार के पटना में स्थित गुरुद्वारा श्री हरमंदिर जी पटना साहिब सिखों का एक पवित्र धार्मिक स्थल है. यह स्थान सिखों के दसवें और अंतिम गुरु, गुरु गोविंद सिंह जी के जन्म और गुरु नानक देव तथा गुरु तेग बहादुर जी की पवित्र यात्राओं से जुड़ा हुआ है. इस कारण देश और दुनिया के सिख धर्मावलंबियों के लिए पटना साहिब एक बहुत हीं पवित्र स्थान है.
दसवें गुरु गुरु गोविंद सिंह जी की याद में बनाए गए हरमंदिर साहिब गुरुद्वारा में उनसे जुड़े अनेक स्मृति चिन्ह रखे हुए हैं. गुरु गोविंद सिंह का न सिर्फ यहां जन्म हुआ था बल्कि उनके जीवन के प्रारंभिक वर्ष यहीं बीते थे. सिखों के पांच पवित्र तख्तों में से दूसरा पटना साहिब का यह गुरुद्वारा सिख स्थापत्य शैली में महाराजा रणजीत सिंह द्वारा बनवाया गया है.
गुरु गोविंद सिंह जी ने उस समय विदेशी आक्रांताओं की गुलामी का दंश झेल रहे भारत में देश, धर्म एवं स्वतंत्रता की रक्षा के लिए सिख समुदाय को सैन्य प्रशिक्षण देकर युद्ध के तैयार किया. उन्होंने सिखों के लिए पंच ककार यानि केश, कड़ा, कंघा, कच्छा तथा कृपाण धारण करना अनिवार्य किया. वे कहा करते, “चिड़ियों से मैं बाज लड़ाऊं, सवा लाख से एक लड़ाऊं, तभी गोविंद सिंह नाम कहाऊं”. वे कहते कि एक एक सिख सिपाही विदेशियों की सवा लाख के बराबर है.
हरमंदिर साहिब में गुरु गोविंद सिंह जी द्वारा उनके बचपन में धारण की जाने वाली पाण, उनके केश में लगने वाली चकरी, छोटी सी बघनख खंजर और उनका कमर-कसा सुरक्षित रखा गया है. यहां आने वाले श्रद्धालु इन वस्तुओं का दर्शन अवश्य करते हैं. गुरु गोविंद सिंह जी के जन्म दिवस पर किया जाने वाला प्रकाशोत्सव सिखों का एक बहुत बड़ा उत्सव होता है. प्रकाशोत्सव में शामिल होने के लिए पटना साहिब में देश-विदेश से आने वाले सिख धर्मावलंबियों का हुजूम उमड़ पड़ता है.